बता दें कि पूजा सिंह के पिता राजेश कुमार सिंह निजी शुगर मिल में क्लर्क हैं और माँ मंजू सिंह गृहणी होने के साथ एक किसान भी हैं। जब पूजा और उनके भाई-बहनों की पढ़ाई का खर्च बढ़ा तो माँ ने मिर्च की खेती शुरू कर दी। वे गर्मियों की झुलसाने वाली धूप में खेतों में पसीना बहातीं और भारी मशीन कंधों पर उठाकर कीटनाशकों का छिड़काव करतीं। यह देखकर पूजा के दिल में दर्द भी था और संकल्प भी। उन्होंने ठान लिया कि एक दिन माँ को यह सब नहीं करना पड़ेगा। उनकी माँ खुद पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई लेकिन बेटी की शिक्षा को अपनी पहली प्राथमिकता बनाया।
यह भी पढ़ें... जौनपुर के अनुभव ने किया कमाल, केन्द्र सरकार के इस विभाग में हुआ चयन
पूजा सिंह का कहना है कि परिश्रम के समय माँ, छोटे भाई शुभम, दोस्त प्रत्यक्ष, अल्का, नेहा, अमृत, देवेंद्र, अनु और उनके आध्यात्मिक विश्वास ईश्वर, प्रकृति और योग ने उन्हें टूटने से बचाया। उन्होंने बताया कि न केवल आर्थिक संघर्षों से लड़ीं, बल्कि समाज की छोटी मानसिकता और लड़कियों के प्रति पूर्वाग्रह से भी लड़ीं। उनका बचपन रंगभेद और ऊँचाई को लेकर ताने सुनते हुए बीता। इतनी छोटी हाइट है और रंग सांवला है, शादी कैसे होगी? यह ताना उन्हें बचपन से सुनना पड़ा। आज उन सभी लड़कियों को एक संदेश देना चाहती हूं जो आत्म संदेह और समाज के पूर्वाग्रहों से जूझ रही हैं। पहले बेटी नौकरी पाएगी फिर शादी की बात होगी।