Jaunpur/Prayagraj News: उत्तर प्रदेश के जौनपुर में पूर्वांचल विश्वविद्यालय से जनसंचार में मास्टर डिग्री और वकालत की पढ़ाई करने वाले मनीष पाण्डेय ने सांसारिक जीवन को त्याग कर सन्यास का मार्ग अपना लिया। कभी अखबारों के ब्यूरो प्रमुख रहे मनीष पाण्डेय अब श्री श्री 1008 श्री दंडीस्वामी मनीष आश्रम जी महाराज के नाम से विख्यात हैं और वामन विष्णु मठ, सीखड़ मिर्जापुर के महंत हैं।
स्वामी मनीष किये हैं मास्टर इन जर्नलिस्म एण्ड मास कम्युनिकेशन व वकालत की पढ़ाई
बता दें कि स्वामी मनीष आश्रम जी महाराज दंडी सन्यासी परम्परा से हैं जो कि दशनामी नागा सन्यासी सन्यासियों में से एक हैं। यही दंडी सन्यासी स्वाध्याय करते-करते जब ज्ञानवान हो जाता है तो शास्तरार्थ करके शंकराचार्य की घोषणा कर उपाधि प्राप्त करता है। स्वामी जी ने व्यावसायिक शिक्षा के रूप में एमजेएमसी मास्टर इन जर्नलिस्म एण्ड मास कम्युनिकेशन और वकालत जैसे डिग्रियां हासिल कर प्रैक्टिस किया और सफलता हासिल कर अपने कनिष्ठ अधिवक्ताओं को सौंप दिया। आप पढ़ रहे हैं उम्मीद ऑफ पब्लिक डॉट कॉम...
मीरजापुर कचहरी में उनके चैम्बर पर जूनियर हैं कार्यरत
मीरजापुर कचहरी स्थित उनके चैम्बर पर आज भी उनके जूनियर कार्यरत हैं। स्वामी जी की पूर्व की स्नातक शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र, प्राचीन इतिहास और हिन्दी साहित्य से हुआ है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी स्वामी जी इंटरमीडिएट तक विज्ञान के छात्र रहे। सन्यास पश्चात स्वामी जी का ज्यादातर समय हिमालय और काशी में व्यतीत होता रहा।
24 घंटे में एक बार ही भोजन भिक्षा ग्रहण करते हैं स्वामी मनीष
स्वामीजी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर दण्डी सन्यासी प्रबन्धन समिति द्वारा सीखड स्थित दण्डी सन्यासी मठ पर पीठाधीश्वर रूप में महन्त नियुक्त किया गया। जहां रहकर स्वामी जी मठ का संचालन प्रवीणता से कर रहे हैं। स्वामी जी का जीवन व्यसनहीन, नशामुक्त रहा। 24 घंटे में एक बार ही भोजन भिक्षा ग्रहण करते हैं। पालनहार नारायण पर और दण्ड सन्यास परम्परा पर इतना विश्वास करते हैं कि अपने हाथ से भोजन नहीं बनाते हैं। इस बारे में उनका कहना है कि ऊपर वाला भूखा उठाता होगा लेकिन भूखा सुलाता नहीं है। आप पढ़ रहे हैं उम्मीद ऑफ पब्लिक डॉट कॉम...
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नारायण नाम का जाप ही सत्य है: मनीष आश्रम जी महाराज
कुम्भ मेले में अपने शिविर में उपदेश देते हुए उन्होंने कहा कि नारायण नाम का जाप ही सत्य है, यह संसार मात्र एक स्वप्न है। मनीष पांडेय का सफर प्रेरणादायक है। जनसंचार और वकालत जैसे आधुनिक पेशों से लेकर संन्यास और आध्यात्मिक मार्गदर्शन तक की यात्रा ने उन्हें अनूठी पहचान दिलाई है। उनका मानना है कि उमा कहहुँ मै अनुभव अपना, सत हरि भजन जगत सब सपना। उनकी यह आध्यात्मिक यात्रा समाज के लिए शांति और भक्ति का संदेश लेकर आई है।
मनीष की रूचि शुरू से आध्यात्म में थी: डा. मनोज मिश्र
इस सम्बन्ध में पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डा. मनोज मिश्र ने बताया कि मनीष की रूचि शुरू से आध्यात्म में थी। उसका शुरू से ही आध्यात्म की तरफ जुड़ाव रहा। वहीं प्राध्यापक डा. सुनील कुमार ने बताया कि मनीष ने पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ समय तक पत्रकारिता व वकालत की। मनीष का शुरू से ही आधात्म की तरफ झुकाव रहा।
Reported By: Virendra